Suzlon energy Rocket:अगर आप शेयर बाजार में रुचि रखते हैं, तो Suzlon Energy का नाम ज़रूर सुना होगा। ये वही कंपनी है जो कभी कर्ज़ और गिरते शेयर प्राइस के लिए बदनाम थी, लेकिन अब वो दौर बदल चुका है। अब वही Suzlon एक बार फिर चर्चा में है और इस बार वजह है. हज़ारों करोड़ की ब्लॉक डील, जिसमें विदेशी और देशी निवेशकों ने जमकर शेयर खरीदे हैं।
1300 करोड़ की ब्लॉक डील से हिला बाजार
9 जून को बाजार खुलते ही Suzlon Energy के शेयरों में हलचल देखने को मिली। वजह थी एक बड़ी ब्लॉक डील, करीब 19.8 करोड़ शेयरों का लेन-देन हुआ, और डील की कुल वैल्यू ₹1300 करोड़ से अधिक रही। औसतन ₹66.05 प्रति शेयर की दर से यह डील हुई, जिससे बाजार को यह संदेश मिला कि बड़ी संस्थाएं अब इस कंपनी पर दांव लगा रही हैं।
किन-किन दिग्गजों ने खरीदे शेयर
इस डील में निवेशकों की लिस्ट देखकर किसी का भी भरोसा बढ़ सकता है। इस लिस्ट में शामिल हैं कुछ नाम जो अक्सर तब ही निवेश करते हैं जब उन्हें लॉन्ग टर्म में मजबूत ग्रोथ दिखती है. जैसे Goldman Sachs Singapore और Goldman Sachs Asia Equity Portfolio ने मिलकर करोड़ों के शेयर खरीदे।
Motilal Oswal MF, ICICI Prudential Life,Bajaj Allianz Life Insurance, Aditya Birla Sun Life MF, Morgan Stanley Asia जैसे दिग्गज फंड्स ने भी जमकर निवेश किया। इसके अलावा Bandhan MF, Edelweiss, ASK Fund, Invesco MF, और कई अन्य नाम भी इस डील में शामिल रहे।
शेयर की चाल: उतार-चढ़ाव के बाद अब क्या?
Suzlon के शेयरों ने पिछले एक साल में निवेशकों को मिलाजुला अनुभव दिया है। 12 सितंबर 2024 को शेयर ₹86.04 पर था, जो एक साल का उच्चतम स्तर था। लेकिन अप्रैल 2025 तक यह गिरकर ₹46 तक आ गया. यानी करीब 47% की गिरावट। अब, जब यह शेयर ₹67.14 तक वापसी कर चुका है, तो निवेशकों के मन में एक ही सवाल है क्या अब यह फिर से रफ्तार पकड़ेगा।
होल्डिंग पैटर्न से क्या मिलता है संकेत
भारतीय म्यूचुअल फंड्स की हिस्सेदारी 4.17% है। और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की होल्डिंग 23.03% तक पहुंच गई है। सिर्फ Vanguard के दो फंड्स की हिस्सेदारी 1% से ऊपर है, जो दिखाता है कि वैश्विक निवेशकों का भरोसा इस स्टॉक में गहरा है। वही खुदरा निवेशकों की हिस्सेदारी लगभग 38% तक है. जिसमें छोटे निवेशकों की संख्या लाखों में है।
प्रमोटर्स ने क्यों बेचे शेयर
ब्लॉक डील के तहत प्रमोटर ग्रुप जैसे कि तांती होल्डिंग्स, रछूदभाई तांती, विनोद तांती, और रंभाबेन तांती, ने बड़ी संख्या में शेयर बेचे। इससे उनकी हिस्सेदारी में हल्की कमी जरूर आई है, लेकिन यह भी संकेत देता है कि प्रमोटर्स अब कंपनी को मजबूत हाथों में सौंपना चाहते हैं।
निवेश करना चाहिए या नहीं?
Suzlon Energy उन चुनिंदा कंपनियों में से है जिसने संकट के दौर से निकलकर दोबारा खुद को साबित किया है। विदेशी निवेशकों की एंट्री, ब्लॉक डील की मजबूती और शेयर की वापसी देख कर यह साफ है कि लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के लिहाज़ से कंपनी में संभावनाएं हैं।हालांकि, अभी भी इसमें वोलैटिलिटी बनी रह सकती है, इसलिए निवेश करने से पहले अपना रिसर्च जरूर करें या फिर किसी वित्तीय सलाहकार की राय लें।
निष्कर्ष
सुजलॉन एनर्जी एक बार फिर निवेशकों के रडार पर है। विदेशी दिग्गजों ने जिस भरोसे के साथ इस स्टॉक में पैसा लगाया है, वो एक पॉजिटिव सिग्नल है। यदि कंपनी आने वाले तिमाहियों में अपने परफॉर्मेंस को बनाए रखती है, तो यह शेयर आने वाले समय में एक और मल्टीबैगर कहानी बन सकता है।डिस्क्लेमर: यह लेख केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। शेयर बाजार में निवेश जोखिम से भरा होता है। किसी भी निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से सलाह अवश्य लें।