महारानी चंद्रकांता का रहस्यमय किला, हजारों साल पुराने इस विजयगढ़ किला का इतिहास Maharani Chandrakanta history: क्योंकि यहां बनी रंग महल में एक जमाने में विजयगढ़ की राजकुमारी चंद्रकांता रहा करती थी तो अलग-अलग समय पर यहां पर बहुत से राजाओं ने निर्माण कार्य करवाया
अपने हिसाब से इस किले को बेहतर रूप देने की कोशिश की तो कैमूर पर्वत माला से घिरे हुए इस 400 फिट ऊंचे किले की जगह को किसी जमाने में विजय गिरी नाम से जाना जाता था और यहां एक समय में विशेषज्ञों द्वारा तपस्या की जाती थी।
चंद्रगुप्त मौर्या का निवास
तो ऐसा बताया जाता है कि चंद्रगुप्त मौर्य को जब मगध पर आक्रमण करना था तो उन्होंने अपनी सेना को इसी किले में विश्राम करवाया था विजयगढ़ से लगभग 280 किलोमीटर की दूरी पर मगर बढ़ता है जो कि मौर्य वंश का साम्राज्य हुआ करता था और जो वर्तमान में बिहार राज्य में स्थित है इसके अलावा विजयगढ़ के इस किले पर गुप्त वंश गुर्जर प्रतिहार वंश गूगल व और अंत में काशी नरेश चेतसिंह कविराज रहा था लेकिन मैं बता देता हूं।
विजयगढ़ किले की रहस्यमय गुफ़ा
इस किले के अंदर से ही एक गुफा के जरिए यह नौगढ़ और चुनारगढ़ तक पहुंचने के लिए रास्ता बनाया गया था और इन्ही गुफाओं में खजाने के छिपे होने की संभावना भी अफसर जताई जाती है तो वीरगाथा हथियारों की अनसुनी कहानियों और कृष्ण के खजाने से भरपूर विजय करके किले के तार आस्था से जुड़े हुए हैं।
एक तरफ मैं यहां पर रामसागर तालाब है जिसकी गहराई के बारे में आज तक कोई भी पता कि लगा पाया है और भीषण गर्मी में भी इसमें कभी भी पानी नहीं सूखता है श्रावण मास में तालाब से कावड़िए जल भरकर शिवद्वार में जलाभिषेक करने जाते हैं।
यहां हर साल अप्रैल के महीने में एक मेला भी आयोजित किया जाता है और वहीं दूसरी तरफ में अगर हम देखें तो मुस्लिम समुदाय के लोग यहां सिर्फ मिरान शाह बाबा की मजार पर दूर-दूर से चादर चढ़ाने आते हैं तो विजय करते इस किले को गंगा-जमुनी तहजीब के प्रमाण के रूप में भी देखा जा सकता है,
तालाब से वर्तन निकलता है बहुत बड़ा रहस्य
किवदंतियों के अनुसार ऐसा भी बताया जाता है कि पहले यहां लोग घूमने आते थे तो तालाब से बर्तन निकला करते थे तो लोग उन्हें खाना खाने के बाद उन्हें धोकर इसी तालाब में वापस छोड़ देते थे और एक विचित्र बात इस तालाब के बारे में यह भी बताई जाती है इसकी गहराई कितनी है इसके बारे में आज तक कोई भी पता नहीं लगा पाया है।
विजय गिरी पर्वत का रहस्य
तो ऐसा बताया जाता है कि इस किले के निर्माण से पहले यह जगह विजय गिरी पर्वत नाम से जानी जाती थी और यह पर्वत साधु महात्माओं का गढ़ हुआ करता था और शायद इसी वजह से आज भी आपको यहां पर साधु-महात्मा पूजा अर्चना और हवन करते हुए नजर आ जाएंगे तो भी देखिए आप कितनी सुंदर कलाकारी की गई है।