india 4th largest economy – चौथा देश बना भारत चौंक गया अमेरिका 4 साल का रिकॉर्ड किया तबाह : गया जी हां दोस्तों भारत की जितनी भी तारीफ की जाए उतना ही कम है क्योंकि जिस समय दुनिया के कई देश वैश्विक मंदी से जूझ रहे हैं और जापान जैसे देशों की इकोनॉमी सिकुड़ कर पीछे चली गई वहीं भारत ने बाजी मारते हुए जापान को पीछे छोड़ दिया और भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी इकोनमी वाला देश बन गया india 4th largest economy
भारत से दुश्मनी डोनाल्ड ट्रंप का निशाना
बल्कि इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड और वर्ल्ड बैंक ने भारत के लिए जो एक्सपेक्टेशन दिखाई है :उसने बड़े-बड़े देशों को सोचने पर मजबूर कर दिया कि आखिरकार भारत वैश्विक मंदी के समय में भी इस तरीके की कामयाबी कैसे हासिल कर सकता है पूरी डेवलपमेंट क्या है दरअसल हम इस बात को देखते हैं कि अमेरिका कई छोटे-मोटे देशों को अपने इशारों पर नचाता रहता है ऐसा इसलिए क्योंकि अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनमी है।
आगे का मामला क्या? लाइव अपडेट 2025
इसलिए कई देश डायरेक्टली या फिर इन डायरेक्टली उनके ऊपर डिपेंडेंट है इसलिए उन्हें नाचना पड़ता है और हाल ही में यह भी देखा जा रहा है कि जब भारत अमेरिका का F-35 फाइटर जेट ना खरीद कर रूस का एसयू-57 खरीदने की ओर आगे बढ़ रहा है तो अमेरिका की तरफ से प्रतिबंध लगाने की धमकियां आ रही है।
भारत चौथी सबसे बड़ी इकोनॉमी वाला देश कैसे बना
और भारत को अभी ऐसा करने में समय लगेगा फिलहाल जब परिणाम सामने आ रहा है तो सभी की आंखें फटी की फटी रह गई हैं क्योंकि इस समय भारत की इकोनमी छह या 7% की रफ्तार से आगे बढ़ रही है दुनिया के कई देशों की इकॉनमी में फ्लक्चुएशंस आया लेकिन भारत की इकॉनमी में उतना फ्लक्चुएशंस नहीं आया भारत की इकोनमी में ज्यादा फ्लक्चुएशन ना आने का मेन रीजन यही है,
180 करोड़ का सौदा किया रद्द
क्योंकि भारत के जितने प्रोडक्ट हैं वह कीमत में थोड़े बहुत महंगे जरूर होते हैं लेकिन उनकी क्वालिटी वर्ल्ड लेवल की देखने को मिलती है और उस क्वालिटी का प्रोडक्ट कोई और देश नहीं दे पाता इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट की बात हो मशीनरी कंपोनेंट की बात हो डिजिटल कंपोनेंट की बात हो या फिर रोजमर्रा की जिंदगी में उपयोग किए जाने वाले कपड़े और फैशनेबल चीज ही क्यों ना हो यहां तक कि भारत के फूड प्रोडक्ट ने भी जिस देश की मार्केट में एक बार एंट्री मार लिया है।
भारत से दुश्मनी पढ़ी महंगी
आज के समय भारत का बासमती चावल और भारत में बनाए जाने वाले गरम मसाले की डिमांड यूरोपीय और वेस्टर्न कंट्रीज में इतनी ज्यादा है कि वह इसके बिना अपना खाना तक नहीं पका पाते तो भला भारत से अपनी डिपेंडेंसी कैसे कम कर सकते हैं और इसी तरीके से धीरे-धीरे करके जैसे-जैसे भारत का मार्केट इन अमीर देशों में बढ़ रहा है।
निष्कर्ष
इससे चाहे डेवलपमेंट के मामले में हो या फिर मैन्युफैक्चरिंग के मामले में हो या फिर कंपनियों को एक बड़े लेवल पर एस्टैब्लिश करने के मामले में हो इन सब मामले में भारत भले ही धीरे-धीरे अपने आप को उठा रहा है लेकिन जिस सेक्टर में भारत ने अपने आप को खड़ा कर लिया वह सेक्टर भारत को मोटे-मोटे पैसे की कमाई करके दे रहा है।